मां काली या काली देवी मां दुर्गा के विभिन्न रूपों में से एक है । महाकाली का रूप सभी रूपों में सबसे ज्यादा भय प्रदान करने वाला माना जाता है । शब्द { काली } एक संस्कृत शब्द 'काल ' से आया है। काल से मतलब समय से है | वह अपने गुस्से के आगे किसी को नहीं देखती| वह ऐसी देवी है जो अपने कूर रूप के बावजूद अपने भक्तो से एक प्यार का सम्बद्ध बनाये रखती है। इस सम्बन्ध में भक्त एक बेटे का रूप ले लेता है और माँ काली एक देखभाल करने वाली का रूप लेती है। कभी कभी माँ काली मौत की देवी भी मानी जाती है। पर दूसरे शब्दों में माँ काली बुराइयों
जय माँ काली मंदिर, नयागाँव का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। माँ का पवित्र मंदिर बिहार के भागलपुर जिला के सुल्तानगंज प्रखंड के नयागांव ग्राम में अवस्थित है। यह मंदिर असरगंज- शाहकुंड रोड में लदौवा मोड़ से 3 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। दूर-दराज के इलाके तक यह मंदिर अत्यंत प्रसिद्ध है। यहां प्रत्येक वर्ष चैत्र मास में "बेहरी' (भंडारा मेला) का आयोजन होता है। इस मंदिर की महिमा अपरंपार है।
श्री आद्याशक्ति माँ
Badi Durga, Asarganj |
दश महाविद्या मे प्रथमा शक्ति काली माँ है।काली माँ के कई रूप में जैसे महाकाली,शमसान काली,गुहय काली,भद्र काली,काम काली,दक्षिण काली और भी कितने रूप है।सती ने जब शिव को रोकने हेतु अपने रुप का विस्तार किया उसमे काली प्रथम है इस कारण ये आद्या शक्ति है।शिव के हृदय पर जिनकी स्थापना होती हो वही सृष्टि की परम सता है।यही माँ सर्व पूज्य भी है।
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